बेवर: अधिकांश आबादी शाकाहारी है जिसमें कुपोषण एक मुख्य समस्या है। कुपोषण से बचने के लिए मशरूम से बेहतर और सस्ता कुछ भी नहीं हो सकता, शायद यही कारण है कि दिनों दिन मशरूम की मांग बढ़ रही है। मौजूदा समय मशरूम पैदा करने के लिए सर्वोत्तम समय है। किसान मशरूम उत्पादन कर कम लागत में भारी मुनाफा कमा सकते हैं। मशरूम की मांग शाकाहारी व मांसाहारी दोनों ही वर्गो में बढ़ती जा रही है। सब्जी की दुकान से लेकर पंच सितारा होटलों तक में इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है।
खंड विकास अधिकारी रामसागर यादव बताते हैं कि यहां का किसान आलू के पीछे पड़ा है, जबकि आलू में प्रति वर्ष बढ़ती लागत और बम्पर पैदावार के चलते खपत का न हो पाना एक मुख्य समस्या है,यही कारण है कि किसान लगातार घाटे में जा रहा है। श्री यादव का कहना है कि मौजूदा समय मशरूम उत्पादन के लिए श्रेष्ठ समय है और इसे हर जगह बड़े आराम से उगाया जा सकता है। शुरूआती समय में इसके लिए 22से 26 डिग्री सेन्टीग्रेड की और बाद में 14 से 18 डिग्री सेन्टीग्रेड की आवश्यकता होती है। इसे उगाने का तरीका भी बहुत ही आसान है। इसके लिए पुआल तथा स्थानीय अपशिष्टों की कम्पोस्ट बना कर यदि थैलियों में उगाना है तो प्लास्टिक की थैलियों में भर कर 2 मिमी. व्यास के छोटे छोटे छेद कर देते है विशेष प्रकार के मशरूम बीज को विश्वसनीय दुकान से खरीदकर बिजाई कर देनी चाहिए। इन थैलियों को एक कक्ष में रखकर उस पर पुराने अखबार से ढक देना चाहिए। नमी बनाए रखने के लिए पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। दो महीने में मशरूम तैयार हो जायेगी। समान्यत: 8 से 9 किलो मशरूम प्रति वर्ग मीटर में पैदा होती है। मशरूम में बटन प्रजाति सरल ढंग से पैदा की जा सकती है। मौजूदा समय में मशरूम 110 से लेकर 150 रूपया प्रति किलो तक बिक रही है। इसके व्यंजन शादी समारोह में भी शान बढ़ा रहे हैं, जो किसान के लिए काफी लाभदायक हो सकता है।
खंड विकास अधिकारी रामसागर यादव बताते हैं कि यहां का किसान आलू के पीछे पड़ा है, जबकि आलू में प्रति वर्ष बढ़ती लागत और बम्पर पैदावार के चलते खपत का न हो पाना एक मुख्य समस्या है,यही कारण है कि किसान लगातार घाटे में जा रहा है। श्री यादव का कहना है कि मौजूदा समय मशरूम उत्पादन के लिए श्रेष्ठ समय है और इसे हर जगह बड़े आराम से उगाया जा सकता है। शुरूआती समय में इसके लिए 22से 26 डिग्री सेन्टीग्रेड की और बाद में 14 से 18 डिग्री सेन्टीग्रेड की आवश्यकता होती है। इसे उगाने का तरीका भी बहुत ही आसान है। इसके लिए पुआल तथा स्थानीय अपशिष्टों की कम्पोस्ट बना कर यदि थैलियों में उगाना है तो प्लास्टिक की थैलियों में भर कर 2 मिमी. व्यास के छोटे छोटे छेद कर देते है विशेष प्रकार के मशरूम बीज को विश्वसनीय दुकान से खरीदकर बिजाई कर देनी चाहिए। इन थैलियों को एक कक्ष में रखकर उस पर पुराने अखबार से ढक देना चाहिए। नमी बनाए रखने के लिए पानी का छिड़काव करते रहना चाहिए। दो महीने में मशरूम तैयार हो जायेगी। समान्यत: 8 से 9 किलो मशरूम प्रति वर्ग मीटर में पैदा होती है। मशरूम में बटन प्रजाति सरल ढंग से पैदा की जा सकती है। मौजूदा समय में मशरूम 110 से लेकर 150 रूपया प्रति किलो तक बिक रही है। इसके व्यंजन शादी समारोह में भी शान बढ़ा रहे हैं, जो किसान के लिए काफी लाभदायक हो सकता है।
mushroom is a cost effective business every one can start this business with as little amount as Rs.500 and profit is very high because there is no competition in the market.
जवाब देंहटाएंDear Amarjeet,
हटाएंMy name is Amit nd i m from Lucknow, Uttar Pradesh.
May I Know is there any training required for this business. i want to know complete details.
can u help me in this.
Thanking you
Amit Singh
Singh_reliance1983@yahoo.co.in
+91-9369111222