साहिबगंज,जासं : मशरूम की खेती से जिले की महिलाएं न केवल कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रही हैं बल्कि उनकी तकदीर ही बदल गई है। जनवरी माह में जिला कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से जिले की 46 महिलाओं को मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया गया था और बाद में बोरियो प्रखंड की 92 महिला स्वयं सहायता समूहों को स्वरोजगार के लिए 10-10 हजार रूपये का चेक भी दिया गया था ताकि महिलाओं में सशक्तिकरण आ सके। बाद में बरहड़वा,बरहेट व बोरियो प्रखंड की महिलाओं को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दिया गया सभी महिलाओं ने इसे रोजगार का जरिया बनाया और आज वे खूशहाल हैं। जिला कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक किरण मेरी कंडीर का कहना है कि मशरूम न केवल एडस जैसे भयानक रोग से बचाने की क्षमता रखता है वरन उच्च रक्त चाप, मधुमेह,हृदय रोग, मोटापा,गठिया,एलर्जी व कैंसर से भी लोगों को बचाने की क्षमता रखता है। यह कई विटामिनों से भी लवरेज है।
साहिबगंज के जिला कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक किरण मेरी कंडीर का कहना है कि मशरूम की खेती काफी कम खर्च में अधिक मुनाफा देने वाला होता है। इसके लिए काफी अधिक जगह की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसकी खेती के लिए घर के किसी भी कमरे का बेकार पड़े गैरेज का उपयोग किया जा सकता है। इसमें पुआल की कुट्टी का डेढ़ इंच का स्तर बनाकर उसमें मशरूम के बीज डाले जाते है। इससे पहले इसमें कुछ रसायन का प्रयोग करते है। 20 दिन के बाद कुट्टी पर सफेद रंग के जाल दिखने लगते है, जो 30 दिनों के बाद तैयार होने लगता है। मशरूम में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। जो छोटे बच्चे और बूढ़ों के लिए काफी फायदेमंद होता है। मशरूम में उतना ही प्रोटीन होता है, जितना की किसी भी प्रकार के मांस में होता है इसलिए वैसे लोग जो शाकाहारी होते है, प्रोटीन के लिए इसका प्रयोग कर सकते है। इसकी खेती घर का सारा काम करने के बाद बचे समय में मशरूम की खेती किया जा सकता है। इसके लिए अलग से समय देने की आवश्यकता नही पड़ती है। मशरूम की खेती से जिले की महिलाओं की बेरोजगारी का भी हल निकाला जा रहा है बरहड़वा प्रखंड की रेशमी देवी ने बताया कि मशरूम की सब्जी बनाकर खाती भी हैं और बेचकर भी मुनाफा कमाती हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जब धान का पुआल सड़ने लगता है तो इससे मशरूम निकलता है और गांवों में लोग इसकी सब्जी बनाकर बड़े चाव से खाते हैं जिससे न केवल उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है बल्कि वे बाजारों में इसे बेचकर भी लाभ कमाते हैं। साहिबगंज जिले के ग्रामीण हाटों से लेकर बाजारों में भी मशरूम बेची जाती है।
साहिबगंज के जिला कृषि विज्ञान केंद्र की वैज्ञानिक किरण मेरी कंडीर का कहना है कि मशरूम की खेती काफी कम खर्च में अधिक मुनाफा देने वाला होता है। इसके लिए काफी अधिक जगह की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसकी खेती के लिए घर के किसी भी कमरे का बेकार पड़े गैरेज का उपयोग किया जा सकता है। इसमें पुआल की कुट्टी का डेढ़ इंच का स्तर बनाकर उसमें मशरूम के बीज डाले जाते है। इससे पहले इसमें कुछ रसायन का प्रयोग करते है। 20 दिन के बाद कुट्टी पर सफेद रंग के जाल दिखने लगते है, जो 30 दिनों के बाद तैयार होने लगता है। मशरूम में काफी मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। जो छोटे बच्चे और बूढ़ों के लिए काफी फायदेमंद होता है। मशरूम में उतना ही प्रोटीन होता है, जितना की किसी भी प्रकार के मांस में होता है इसलिए वैसे लोग जो शाकाहारी होते है, प्रोटीन के लिए इसका प्रयोग कर सकते है। इसकी खेती घर का सारा काम करने के बाद बचे समय में मशरूम की खेती किया जा सकता है। इसके लिए अलग से समय देने की आवश्यकता नही पड़ती है। मशरूम की खेती से जिले की महिलाओं की बेरोजगारी का भी हल निकाला जा रहा है बरहड़वा प्रखंड की रेशमी देवी ने बताया कि मशरूम की सब्जी बनाकर खाती भी हैं और बेचकर भी मुनाफा कमाती हैं। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में जब धान का पुआल सड़ने लगता है तो इससे मशरूम निकलता है और गांवों में लोग इसकी सब्जी बनाकर बड़े चाव से खाते हैं जिससे न केवल उन्हें रोगों से मुक्ति मिलती है बल्कि वे बाजारों में इसे बेचकर भी लाभ कमाते हैं। साहिबगंज जिले के ग्रामीण हाटों से लेकर बाजारों में भी मशरूम बेची जाती है।
me masroom ki kheti karna chahat hu mujhe iski cultivation ki jankari chahyi cont 9770713625 email add vyogi444@gmail.com
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