बुधवार, 9 मई 2012

मशरूम की खेती से हों मालामाल

मशरूम की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो सकती है। यदि किसान धान, गेहूं की जगह मशरूम की खेती करें तो उनकों अवश्य ही लाभ होगा। कम से कम निराला नगर निवासी किसान मो. रफी को देखकर तो यही लगता है। मो. रफी ने मशरूम की खेती प्रारम्भ कर नई शुरूआत की है।
स्नातक तक पढ़ाई करने वाले मो. रफी ने इस बार फरेन्दा क्षेत्र में मशरूम की खेती कर अभिनव प्रयोग किया है। मो.रफी के मुताबिक दिसम्बर से मार्च तक इसकी खेती होती है। मो. रफी के मुताबिक भूसा आदि मिलाकर कम्पोस्ट तैयार किया जाता है। बाद में मचान आदि बना कर उक्त कम्पोस्ट को उस पर रखा जाता है। मचान पर रखने के 18 से बीस दिन बाद मशरूम तैयार किया जाता है। वर्तमान समय में मो. रफी द्वारा पंद्रह से बीस किलो तक मशरूम तैयार किया जा रहा है। पैदा किए गए मशरूम को वह आस पास के गांवों व फरेन्दा कस्बे में बेच देते हैं। उन्होंने बताया कि धान-गेहूं के खेती के मुकाबले उसे मशरूम की खेती से अच्छी आय हो रही है। अगले वर्ष से वह इस खेती को और व्यापक पैमाने पर करेंगे। डंडवार के टोला सिधवार में इस खेती को कर रहे मो. रफी ने कहा कि वह मशरूम के बीज को दिल्ली से लाते हैं। यहां उगा हुआ मशरूम लोग आसानी से ले लेते हैं।

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