सोमवार, 16 अप्रैल 2012

मशरूम उत्पादन कर हुआ आत्मनिर्भर



कभी दिहाड़ी मजदूरी करने वाला मजीर अंसारी आज का मशरूम उत्पादक बन गया है। सरैयाहाट प्रखंड स्थित बाबूडीह गांव का रहने वाले मजीर ने इसे धंधे के रुप में अपना कर जीविकोपार्जन का आधार बना लिया है। मजीर कहता है कि एक दौर था जब वह दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने में विफल था। कभी-कभी तो एक शाम भूखे सोने की भी लाचारी आन पड़ती थी, पर अब बात दूसरी है। आज वह न सिर्फ मशरूम उत्पादन कर आत्मनिर्भर बन गया है बल्कि दूसरे भी उससे प्रेरित होकर मशरूम की खेती करने लगे हैं। बाबूडीह निवासी नजीर मेरठ एवं दिल्ली जैसे शहरों में मजदूरी करके ऊब चुका था। फिलहाल वह प्रशिक्षण हासिल कर मशरूम की खेती कर रहा है। मो.नजीर ने बताया कि 200 ग्राम मशरूम का बीज लगाकर वह दो-ढाई सौ रुपया कमा लेता है। मशरूम उत्पादन में उसका परिवार भी सहयोग कर रहा है और अब उसकी चाहत है कि बड़े पैमाने पर मशरूम की खेती करे। हालांकि उसने कहा कि इसके लिए पूंजी की कमी है। ऐसे में अगर सरकारी स्तर पर मदद मिल जाए तो बात बन सकती है। नाजीर कहता है कि यह सही है कि लोकल मार्केट में मशरूम का डिमांड कम है, इसके बावजूद दिहाड़ी मजदूरी करने से यह काफी बेहतर व इज्जत का काम है। मशरूम की खेती कर महीने में पांच-छह हजार रुपये की आमदनी है जो कि बेहतर है।

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